रविवार, 4 अक्टूबर 2009

मैया मै तो चन्द्र खिलौना लैहौं

सूरदास जी कहते है की एक बार 'बाल-कृष्ण' ने यशोदा मैया से हठ किया कि उन्हें चाँद चाहिए वे उससे खेलेंगे और झट माँ यशोदा ने उन्हें थाली में पानी रख चाँद दे दिया । लगता है ऐसा ही बाल-हठ अपने राहुल बाबा युवावस्था में कर बैठे हैं -भारत का प्रधानमंत्री बनने की । जिसे पूरा करने के लिए सोनिया मैया भी लगातार प्रयासरत है । आखिर माँ तो माँ ही होती है ,चाहे वह यशोदा मैया हो या सोनिया मैया । बाल-कृष्ण चाँद की परछाई पाकर ही बहल गए । किंतु राहुल बाबा बालक तो है नही जो प्रधानमंत्री की मनमोहन परछाई आँगन में देख बहल जाए ,उन्हें तो सचमुच का चाँद चाहिए परछाई नही । फिर माँ ने समझाया की अगर मनमोहिनी परछाई से संतोष नहीं है फिर तो तुम्हे असली चाँद के लिए जनमोहिनी रूप धारण करना पड़ेगा । क्योंकि यह आकाश का चाँद नहीं वरन जनता का प्रधानमंत्री है और जनता को भ्रमित करने हेतु जनलीला करनी पड़ेगी । बेरोजगार जनता के बीच तुम भी बेरोजगार दिखो (नरेगा में मिट्टी उठाने का नाटक ),समाज के वंचितों के यहाँ जाकर अपने वोट संचित करो (दलितों के घर रहने और खाने का नाटक )। फिर देखो जनता धन्य-धन्य !!कह उठेगी ।

सोनिया माता, यशोदा माता की तरह मूर्ख तो हैं नही की थाली के पानी में चाँद परोसे जो पानी को छूते ही खो जाये । वह तो अपने पुत्र के इस खिलौने को पूरा सुरक्षित बनाना चाहती है । जिसके लिए उन्होंने आजादी से पूर्व आजाद कांग्रेस को अपना गुलाम बना लिया है । जिस कांग्रेस के नेता ब्रिटिश सम्राज्ञी का विरोध पराधीन भारत में भी करते थे ,आज सोनिया के सामने दुम हिलाते हैं । महात्मा गांधी जिस कांग्रेस का अध्यक्ष सिर्फ़ एक बार बने ,'मदर इंडिया' सोनिया ने इसे अपने लिए सुरक्षित करा लिया । आजाद भारत जिसे विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में जाना जाता है का राजतंत्रीकरण कर दिया ,जिसके केन्द्र में हैं राजमाता सोनिया और युवराज राहुल । भारत के संघीय ढांचे को सामंती ढांचे में परिवर्तित कर दिया तथा वफादार सरदारों का सुल्ताने-चिहलागानी बना डाला । पुराने वफादार सरदारों के नए वंशजों (सिंधिया ,पायलट ,प्रसाद आदि )को भी तारे (मंत्रीपद ) देकर वफादार बना लिया । विरोधी सरदारों (पवार ,संगमा आदि )को टुकडे फेक एहसानमंद कर दिया । कुछ सरदारों के उदंड बच्चों (जगन रेड्डी ) को अनुशासन का पाठ पढाया ।

धन्य!हो सोनिया मैया ,एक माँ यशोदा थी जिसने अपने ही पुत्र के साथ छल किया और उसे झूठा चाँद देकर बहला दिया और एक आप हैं कि कैटल क्लास जनता (साभार शशि थरूर शब्दकोष )के वोट को छल कर ,लोकतंत्र को छल कर अपने मात्री धर्म का पालन कर रही हैं । कहा भी जाता है कि माता कुमाता नहीं होती फ़िर राजमाता के पद पर आसीन माता अपने पुत्र को राजसिंहासन से छोटा चाँद दे भी कैसे सकती है । अब राहुल बाबा का चाँद सुरक्षित है बस इंतजार है तो पूरनमासी का ।


दिल्ली
०२ अक्तूबर
२००९

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